नई दिल्ली. पांच दिन से दिल्ली में तनाव है। 23 फरवरी की रात को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीड़ के इकट्ठा होने के बाद भड़की हिंसा, दंगो में तब्दील हो गई। इन दंगों में अब तक 42 की मौत हो चुकी है, जबकि 350 से ज्यादा लोग घायल हैं। मरने वालों का आंकड़ा थमने की बजाय रोज बढ़ता ही जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने की वजह से हुई है। जबकि कुछ लोगों की मौत दंगाइयों के हमले से हुई। कई लोग जिंदा जला दिए गए, तो कई लोगों को चाकू-तलवार जैसे धारदार हथियारों से हमला कर मार दिया गया। दंगों में जान गंवाने वालों में ज्यादातर लोग गरीब थे। अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले भी। किसी की हफ्तेभर पहले ही शादी हुई थी, तो किसी की पत्नी प्रेग्नेंट थी। अभी तक मरने वाले 42 लोगों में से 30 की पहचान हो गई है। तो कौन हैं दंगों में जान गंवाने वाले...
1) शाहीद अल्वी । उम्र: 24 साल
बुलंदशहर का रहने वाला शाहीद ऑटो ड्राइवर था। दंगाइयों ने उसे पेट पर गोली मारी थी। 4 महीने पहले ही शाहीद की शादी हुई थी। उसकी पत्नी शाजिया प्रेग्नेंट है।
2) मोहम्मद फुरकान । उम्र: 32 साल
मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला फुरकान वेडिंग बॉक्स डिजाइन करने का काम करता था। उसके परिवार में पत्नी, 4 साल की बेटी और तीन साल का बेटा है। फुरकान पर भी भीड़ ने हमला कर दिया था।
3) राहुल सोलंकी । उम्र: 26 साल
सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था राहुल। दंगाइयों ने उसको गोली मारी थी। उसके पिता हरि सिंह सोलंकी के मुताबिक, राहुल की बड़ी बहन की शादी अप्रैल में होनी थी।
4) अशफाक हुसैन । उम्र: 22 साल
इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे। दंगाइयों ने उन्हें 5 गोली मारी थी। 11 फरवरी को ही अशफाक की शादी हुई थी।
5) विनोद कुमार । उम्र: 50 साल
घोंडा चौक में अरविंद नगर के रहने वाले विनोद के परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। विनोद अपने बड़े बेटे नितिन के साथ बाहर गए थे, तभी दंगाइयों ने उन पर हमला कर दिया। हमले में विनोद की मौत हो गई, जबकि नितिन घायल हो गया था। दंगाइयों ने उनकी बाइक भी जला दी थी।
6) दिनेश कुमार । उम्र: 35 साल
ड्राइवर थे और इसी से अपनी पत्नी और दो बच्चों को खर्चा चलाते थे। दिनेश को 7 से 8 घंटे तक वेंटिलेटर पर भी रखा गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
7) अकबरी । उम्र: 85 साल
दिल्ली के गामरी गांव में रहती थीं अकबरी। उनका बेटा मोहम्मद सईद घर पर ही कपड़ों की दुकान चलाता था। दंगाइयों ने जिस वक्त उनका घर जलाया, उस वक्त अकबरी घर पर ही थीं। इसी में उनकी मौत हो गई।